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राजस्थान के चित्तौरगढ़ के मुख्य मन्दिरो की यात्रा

नमस्कार साथियों 🙏🏻 आज की यात्रा करीब एक महीने पूर्व ही नियोजित कर ली गयी थी आज की एक दिवसीय यात्रा परिवार सहित की गई है। यात्रा की शुरुवात सुबह 7 बजे की गई हम अपनी नई यात्रा साथी को पहली बार लेकर जा रहे है इससे पहले स्थानीय घुमक्कड़ी की गई थी जो कि 30 50 किलोमीटर के अंदर सम्पूर्ण हो जाती है पर यह यात्रा पहली यात्रा है जो एक दिवस में काफी लंबी होने जा रही है हम अपने गाव सिंदवन से सुबह 7 बजे रवाना हुए शुरुवाती रास्ता कच्चा है जो कि 6 माह बाद पूर्ण रूप से डामरीकरण कर दिया जाएगा इस कच्चे रास्ते की लंम्बाई लगभग 4 किलोमीटर है उसके बाद हमे टिपटॉप रोड मील जाती है यहां से नारायणगढ़ हमारे गाव का  थाना ओर न्यायालय स्थिति है यहां से बाए हाथ की तरफ 7 किलोमीटर चलने पर हमें इंदौर नयागांव रोड जो स्टेट हाइवे 31 है मील जाता है और जहां यह हमें मिलता है उस स्थान का नाम मल्हारगढ़ है जो कि हमारी तहसील है यहां से नीमच होते हुए नयागांव यहां टोल नाका है जहां 26 रुपये टोल के देकर हम आगे बढ़ते है यहां से नेशनल हाइवे 156 मिलता है लगभग 2 किलोमीटर चलने के बाद हम बायपास ले लेते है जिसपर 1 किलोमीटर पर फिर टोल मिल जाता

राजस्थान के प्रतापगढ़ के अनछुई जगह जानकारी

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नमस्कार साथियो काफी समय से में ब्लॉगिंग के लिए समय नही दे पा रहा था तो अब एक नई यात्रा ब्लॉग में यात्रा करने लायक जगह का जिक्र है तो पढ़िए ओर घुमक्कड़ी करते रहिए। इस यात्रा ब्लॉग में कुछ गलती हुई होतो क्षमा करें दीपावली के बाद से छुटि्टयों के दौरान जहां पड़ोस के उदयपुर चित्तौड़गढ़ जिलों में पर्यटकों की बहार है, लेकिन ये लोग प्रतापगढ़ का रुख नहीं करते। प्रतापगढ़ भले ही पिछड़ा जिला माना जाता है, लेकिन यहां भी दो-दो किले कई दर्शनीय स्थल, बांध, झरने और अभयारण्य हैं, लेकिन पर्यटन की दृष्टि से इनकी खास पहचान अब तक नहीं बन पाई है। प्रशासन के स्तर पर भी इसके लिए कभी शिद्दत से प्रयास नहीं हुए। 26 जनवरी 2008 को बना यह जिला अपने प्राचीन और पौराणिक संदर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है। विडंबना यह है कि उदयपुर-राजसमंद के बाद चित्तौड़गढ़ जिले के दुर्ग और सांवलियाजी जैसे स्थलों पर पर्यटक बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन कुछ ही किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ में सालभर में चंद पर्यटक ही पाते हैं। त्योहारी सीजन और स्कूलों में अवकाश होने के बावजूद जिला पर्यटकों से महरूम ही रहा। होटल, ट्रैवल्स एजेंसी, रेस्टोरेंट खाली ही र

राजस्थान की एक अनछुई जगह गौतमेश्वर महादेव मंदिर

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सभी भाई जी को मेरा सादर नमस्कार आज बात करते है एक अनछुई जगह राजस्थान के गौतमेश्वर महादेव गुफा की जो मन्दसौर से 51 किलोमीटर दूर राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के गौतमेश्वर महादेव मंदिर की। यह मंदिर राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले ओर अरनोद तहसील के 3 किलोमीटर दूरी पर है। यहाँ का प्राकृतिक भौगोलिक वातावरण बहुत ही शांत और सुंदर है। आप यहाँ मन्दसौर तक ट्रेन से ओर उससे आगे आपको बस से सफर करना होता है मन्दसौर से आपको प्रतापगढ़ ओर यहा से अरनोद होते हुए बस आपको गौतमेश्वर मंदिर छोड़ देती है। यह पूरा क्षेत्र आदिवासी बहुल इलाका है। जब आप गौतमेश्वर उतरेंगे तो आप चकरा सकते है कि यहाँ तो मंदिर ही नही है तो जनाब आप जिस जगह खड़े है उसी के नीचे मंदिर है जो एक प्राकृतिक गुफा है। अब आपको यहा से नीचे की तरफ जाना होता है उससे पहले अगर आपको नहाना है तो एक कुंड भी बना हुआ है कहावत है कि इस कुंड में जोभी नहाता है उसके पापो को क्लीन चिट मिल जाती है कि जा बेटा अभी तो ओर पाप कर । अब यहाँ से गोल घूमती हुई सीढ़िया जो मंदिर की तरफ जाती है और आप कुछ ही क्षणों में पहुच जाते है मंदिर के सामने अब आप प्रकति के गोद मे बसे इस सुंदर श

पंच केदारो में चौथे केदार भगवान रुद्रनाथ यात्रा भाग 1

नमस्कार दोस्तो इस साल की गई ग्रीष्मकालीन यात्रा की यादे लेकर आया हूँ ।उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी और आगामी कोई मित्र यात्रा करना चाहे तो उसकी मददगार होगी । तो आइए सफर शुरू करने से पहले उसकी बनावट तो देख ले । दिनांक 15 मई को मेरे रिश्तेदार नाहर सिंह  का मेरे यहा आना हुआ बातों बातों में पिछली यात्रा का जिक्र हुआ जो हम तीन दोस्तो ने फरवरी 2018 में की थी यह बात हो रही ही थी के नाहरसिंह एकाएक बोल पड़ा के अभी मेरे छुट्टी 15 जून तक ओर है बनाओ कहि का घुमक्कड़ी प्रोग्राम । इस बार मेरी इच्छा नही थी कहि घूमने जाने की तो पहले तो मैने मना कर दिया पर दो एक  दिन निकलने के बाद फिर से भाई का कॉल आया भाई ने कहा के अगले 10 माह में कही न जा पाऊंगा तो चलो इन बचे कुछ दिनों में एक यात्रा ही कर आये ।इस बार भोलेनाथ को कुछ और ही मंजूर था। मेने भी उससे कहा कि में कोशिश करता हूँ देखता हूँ कहा कि यात्रा हो सकती है। हमारे ग्रुप यात्रा चर्चा जो संदीप जाट भाई के द्वारा बनाया गया एक घुमक्कड़ी परिवार है।  उसमें एक से बढ़कर एक घुमक्कड़ भाई जुड़े हुए है यहाँ चर्चा की तो कुछ ऑप्शन निकले की चारधाम कर लो पर चारधाम कपाट तो

जोगणिया माता भीलवाड़ा राजस्थान एक दिवसीय यात्रा

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जोगणिया माता मंदिर से सटा पहाड़ी जंगल सभी दोस्तों को नमस्कार यह मेरी एक दिवसीय यात्रा हे मेरे दोस्त या कह सकते हैं की मेरे बड़े साले जी ने प्लान बनाया कि आज राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक दर्शनार्थ तीर्थ स्थल है वहां पर माता जोगणिया जी विराजमान है। तो आज रविवार का दिन है हम दोनों आज जोगणिया माता चलते हैं मैं भी उस दिन फ्री था तो मैंने भी चलने की तुरंत हां कर दी उन्होंने कहा कि मैं अभी आ रहा हूं आपके वहां आपकी बाइक लेकर चलते हैं और उन्हें आने के लिए बोल दिया वह आधे घंटे बाद हमारे यहां आ गए और हम दोनों निकल लिए। वहां से दो किलोमीटर दूर पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरवाया ओर चल दिये माता जी के धाम की ओर बाइक पर हम दोनों आराम से खेतों को देखते हुए जा रहे कहि कहि मानसूनी बारिश से खेतों में बोवनी करदी गई हैं ।अब 50 किलोमीटर की दूरी तय कर हम नीमच जिले की तहसील मनासा में पहुँच गए थे गूगल मैप में रास्ता देख पुनः आगे बढ़ गए ।यहा से पिपलिया राव जी नाम से गांव में होते हुए हम मोरवन बांध के पास नीमच रतनगढ़ मार्ग पर पहुच गए यहा हमने एक ढाबे पर जाकर चाय पी ओर रवाना हो गए । यहा से मैने अपने यात्रा चर्चा

नोहराधार से रेणुका जी और दिल्ली वापसी हिमाचल यात्रा

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नमस्ते दोस्तों फिर लेकर हाजिर हूँ अपनी हिमाचल यात्रा का अगला भाग 6 चुड़ेश्वर महादेव के दर्शन करने के बाद हम लोग आराम से नोहराधार पहुचे बींच रस्ते में अनुभव भाई ने मुझसे कहा कि आप मेरे साथ चलो पठानकोट होते हुए माता वैष्णो देवी के दर्शन कर आते है। अनुभव भाई हर माह माता के दरबार में दर्शन करने जाते है। परन्तु यहा एक समस्या आ गयी वो ये थी की कल जब हम नोहराधार से चले थे उस समय मेने अपने भाई को घर फ़ोन कर जानकारी दी थी पर उसने बोला की में अभी मंदसौर आया हूँ मम्मी की तबियत खराब है। और जब आज सुबह भी जब टॉप पर था उस समय भी पिताजी का फ़ोन आ गया था पर नेटवर्क न होने के कारण बात न हो सकी। जाट देवता के फ़ोन से भी कॉल की गयी पर कॉल नेटवर्क की वजह से नही लगी यह कारण मेने अनुभव भाई को बताया। नोहराधार से अनुभव भाई को बस में बैठाकर हम सभी माता रेणुका जी के दर्शन करने के लिए नोहराधार से शाम 4:30 पर रवाना हुए। यहा से पहाड़ो से दिखती हुई वैली अत्यन्त ही मनमोहक लग रही थी घुमावदार रोड जैसे कोई सर्प ही हो गाड़ी में अपनी सीट अगर पहाड़ की तरफ हो तो कोई डर नही मगर खाई की तरफ होतो सारा खून घुटनो में आ जाता है जैसे ह

चूडधार यात्रा हिमाचल भाग 5

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नमस्ते दोस्तों तो में फिर लेकर आया हूँ अपनी चूड़धार यात्रा भाग 5 पेगोडा शैली में बना शिरगुल देवता का मंदिर अब तक आपने पढ़ा किस तरह हम नो दोस्तों के ग्रुप ने यह कठिनतम यात्रा लगभग आठ से नो घंटे में पूरी की और पहुच गये शिरगुल महाराज के मंदिर तक यहा पहुचने पर पता लगा की यहा की सभी धर्मशालाए पूरी भर चुकी है और कही भी खाली जगह मिलना मुश्किल है। जाट देवता ने सभी को भोजन करने का बोला तो हम सब बारी बारी से होटल में जाकर भोजन किया खाने में चावल रोटी और राजमे की सब्जी थी भीड़ को देखते हुए वहा भी विशेष व्यवस्था नही थी और चावल में नही खाता थोड़ा बहुत खाना खाया और बाहर आ गया। अब धीरे धीरे बाकि सदस्य भी भोजन करने चले गए अब दिल्ली जब जाट देवता के घर पर था तो उन्होंने मुझे एक नंबर दिए पंकज जायसवाल जी के मेने वो नंबर सेव कर लिए थे अब रात में अगर बाहर रुकना होतो सुबह तक सभी की कुल्फी जम जाती अब जाट भाई बोले की जो खाना खा रहे है वो सभी यहा से 100 फिट दूर एक विश्राम स्थल है वहा आ जाना और हम चल दिए नीचे उस कॉटेज की और वहा पहुचने पर पंकज जायसवाल जी मिले बड़े ही मिलनसार और घुम्मकड़ भाई है जो नाहन से है। और