राजस्थान की एक अनछुई जगह गौतमेश्वर महादेव मंदिर

सभी भाई जी को मेरा सादर नमस्कार
आज बात करते है एक अनछुई जगह राजस्थान के गौतमेश्वर महादेव गुफा की जो मन्दसौर से 51 किलोमीटर दूर राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के गौतमेश्वर महादेव मंदिर की।
यह मंदिर राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले ओर अरनोद तहसील के 3 किलोमीटर दूरी पर है। यहाँ का प्राकृतिक भौगोलिक वातावरण बहुत ही शांत और सुंदर है। आप यहाँ मन्दसौर तक ट्रेन से ओर उससे आगे आपको बस से सफर करना होता है मन्दसौर से आपको प्रतापगढ़ ओर यहा से अरनोद होते हुए बस आपको गौतमेश्वर मंदिर छोड़ देती है। यह पूरा क्षेत्र आदिवासी बहुल इलाका है। जब आप गौतमेश्वर उतरेंगे तो आप चकरा सकते है कि यहाँ तो मंदिर ही नही है तो जनाब आप जिस जगह खड़े है उसी के नीचे मंदिर है जो एक प्राकृतिक गुफा है। अब आपको यहा से नीचे की तरफ जाना होता है उससे पहले अगर आपको नहाना है तो एक कुंड भी बना हुआ है कहावत है कि इस कुंड में जोभी नहाता है उसके पापो को क्लीन चिट मिल जाती है कि जा बेटा अभी तो ओर पाप कर ।
अब यहाँ से गोल घूमती हुई सीढ़िया जो मंदिर की तरफ जाती है और आप कुछ ही क्षणों में पहुच जाते है मंदिर के सामने अब आप प्रकति के गोद मे बसे इस सुंदर शांत वातावरण में खो जाएंगे। तभी आपके सामने आते है वानरराज यहा क्या पूरे देश मे ज्यादातर जगहों पर बंदरो का बहुत ही आतंक है। उसी तरह यहा भी आप इनसे बच कर रहिएगा सामने खड़ी चट्टान जिसमे से धड़ाधड़ पानी जो अंदरूनी जमीनी पानी और शुद्ध जल है गर्मियो में मोहाल को ac वाला बना देता है घण्टो आप इस जगह को निहार सकते है यहाँ से अचानक से शुरू होने वाली घाटी कई किलोमीटर नीचे माही नदी में जाकर मिलती है। पूरा जंगल बांस के पोधो से घिरा हुआ है कई कई आपको करौंदे के पौधे भी मिल जाएंगे। यहा मंदिर और उसी के समीप एक स्थान और है उस जगह का नाम गधालौट है। यहा की कहावत है कि जिस व्यक्ति ने इस जगह गधे की तरह लौट कर एक चक्कर पूरा कर लिया उसे अगले जन्म में गधे के रूप में जन्म नही लेना पड़ेगा काश हमारे नामदार नेता यहा एक लोट लगा लेते तो इस जन्म में तो कोई बात नही अगले जन्म में गधे जैसी बातें नही करते। चलो छोड़ो इन राजनीतिक गधों को। अब यह से आगे बढ़ने पर भगवान गौतमेश्वर जी के दर्शन होते है जो एक सकरी सी गुफा में विराजे हुए है जिसके दो मार्ग है एक इंटर होने का ओर एक एग्जिट होने का यहा दर्शन करने के उपरांत मन को बहुत शांति मिलती है। दूर दूर तक फैली इस घाटी को निहारते ही रहे ऐसा प्रतीत होता है। अब बात करते है यहाँ के मोहोल के बारे में तो यहा आपको झुंड के झुंड आदिवासी लड़के लड़कियों का मेला सा दिखाई देगा क्यो ढोलक लेकर भगवान को प्रसन्न करने में लगा हुआ है तो कोई फूल लोकल मेकप लगा के घूम रहा है।यहाँ दीपावली के बाद मेला भी लगता है उस समय यहा पेर रखने की जगह भी नही मिलती कोई यहा की यात्रा करना चाहे तो सोमवार, श्रवण माह ,हरियाली अमावस्या ,त्योहारों के समय और दीपावली से लगने वाले मेले के समय कोई भाई यहा की यात्रा न करे ।
यहा रुकने के लिए धर्मशाला ओर कई होटल है भोजन भी आपको उचित दर पर मिल जाएगा। वेसे आप किसी भी समय आये आदिवासी वेश भूषा हाथ मे तीर धनुष लिए आदिवासी दिख ही जायेंगे आप यह न समझना कि कहि यह हमला कर दे। नही सिर्फ आपको अपने कल्चर से रूबरू करवाते है मेहमान को भगवान समझते है बिन किसी लालच के आप को बहुत सी करौंदे आम और टिमरू भी देते है।तो निकालिये कभी समय और एक घुमक्कड़ी यहा की भी कीजिये  वापसी आप चाहे तो रतलाम होकर भी कर सकते है यहाँ से बहुत सी बस रतलाम को भी जाती हैं। तो यह एक अनछुई जगह की पोस्ट आपको केसी लगी कॉमेंट बॉक्स में अपनी कीमती राय बताये। धन्यवाद





टिप्पणियाँ

  1. वाह बहुत बढ़िया जगह बताई लोकेंद्र भाई और वो गधे के जैसे लोट लगाने वाली बात बढ़िया पता चली...

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  2. हर हर महादेव बहुत ही बढ़िया विवरण,
    आपकी लेखन शैली दिन ब दिन निखरती जा रही है,

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  3. ठीक इसी प्रकार का गुफा मंदिर हिमाचल प्रदेश में भी है, " कुड़ेश्वर महादेव" जो पालमपुर बैजनाथ से कोई 18किलोमीटर की दूरी पर है.... बहुत बड़ी प्राकृतिक गुफा के नीचे शिव मंदिर और गुफा की छत से पूरे मंदिर प्रांगण में पानी टपकता रहता है।

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    1. वाह बहुत ही बढ़िया ऐसे स्थानों पर ही मन को शान्ति मिलती हैं धन्यवाद विकास भाई जी

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  4. ठीक इसी प्रकार का गुफा मंदिर हिमाचल प्रदेश में भी है, " कुड़ेश्वर महादेव" जो पालमपुर बैजनाथ से कोई 18किलोमीटर की दूरी पर है.... बहुत बड़ी प्राकृतिक गुफा के नीचे शिव मंदिर और गुफा की छत से पूरे मंदिर प्रांगण में पानी टपकता रहता है।

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  5. ठीक इसी प्रकार का गुफा मंदिर हिमाचल प्रदेश में भी है, " कुड़ेश्वर महादेव" जो पालमपुर बैजनाथ से कोई 18किलोमीटर की दूरी पर है.... बहुत बड़ी प्राकृतिक गुफा के नीचे शिव मंदिर और गुफा की छत से पूरे मंदिर प्रांगण में पानी टपकता रहता है।

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  6. Yehi mera ganv hey main yhi rahta hoon apka shukriya is pure vivran ke lie

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