पंच केदारो में चौथे केदार भगवान रुद्रनाथ यात्रा भाग 1

नमस्कार दोस्तो
इस साल की गई ग्रीष्मकालीन यात्रा की यादे लेकर आया हूँ ।उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी और आगामी कोई मित्र यात्रा करना चाहे तो उसकी मददगार होगी ।

तो आइए सफर शुरू करने से पहले उसकी बनावट तो देख ले । दिनांक 15 मई को मेरे रिश्तेदार नाहर सिंह  का मेरे यहा आना हुआ बातों बातों में पिछली यात्रा का जिक्र हुआ जो हम तीन दोस्तो ने फरवरी 2018 में की थी यह बात हो रही ही थी के नाहरसिंह एकाएक बोल पड़ा के अभी मेरे छुट्टी 15 जून तक ओर है बनाओ कहि का घुमक्कड़ी प्रोग्राम ।
इस बार मेरी इच्छा नही थी कहि घूमने जाने की तो पहले तो मैने मना कर दिया पर दो एक  दिन निकलने के बाद फिर से भाई का कॉल आया भाई ने कहा के अगले 10 माह में कही न जा पाऊंगा तो चलो इन बचे कुछ दिनों में एक यात्रा ही कर आये ।इस बार भोलेनाथ को कुछ और ही मंजूर था। मेने भी उससे कहा कि में कोशिश करता हूँ देखता हूँ कहा कि यात्रा हो सकती है। हमारे ग्रुप यात्रा चर्चा जो संदीप जाट भाई के द्वारा बनाया गया एक घुमक्कड़ी परिवार है। उसमें एक से बढ़कर एक घुमक्कड़ भाई जुड़े हुए है यहाँ चर्चा की तो कुछ ऑप्शन निकले की चारधाम कर लो पर चारधाम कपाट तो अभी तो खुले है लपक कर भीड़ होगी मतलब मुह मांगी कीमत में भी उचित सुविधा न मिलने वाली है। निष्कर्ष निकाला किसी भी एक केदार हो लेते है। पर कहा केदारनाथ में तो भीड़ है बाकी बचे 4 केदार जिसमे से 3 तो कम कठिनाई वाले ट्रेक है सबसे ज्यादा कठिन ट्रेक रुद्रनाथ महादेव का है। आइए जानते है भगवान रुद्रनाथ के बारे में भगवान रुद्रनाथ पंचकेदारों में से चौथे केदार है यहां विशाल प्राकृतिक गुफा में बने मंदिर में शिव की दुर्लभ पाषाण मूर्ति है। यहां शिवजी गर्दन टेढे किए हुए हैं। माना जाता है कि शिवजी की यह दुर्लभ मूर्ति स्वयंभू है यानी अपने आप प्रकट हुई है। इसकी गहराई का भी पता नहीं है। यह मंदिर समुद्रतल से 3700 मीटर की ऊंचाई पर है पहले प्लान फाइनल हुआ कि हम कल्पेश्वर से दर्शन कर ट्रेक शुरू करेंगे और रुद्रनाथ होते हुए सगर गाव उतरेंगे। हमारी दिनांक भी तय हो गयी 25 मई को मन्दसौर से हरिद्वार की ओर निकलना है। पर नियति को कुछ और ही मंजूर था किन्ही कारणों के चलते हमने यह यात्रा कुछ समय के लिए स्थगित कर दी। हम इस बात को यात्रा चर्चा ग्रुप ओर ट्रेवल टू एक्सपोलर जो सन्नी मलिक भाई द्वारा बनाया हुआ है। उसमें इस बात को बता दिए कि अभी रुद्रनाथ यात्रा स्थगित हो गयी है। रुद्रनाथ यात्रा के लिए हमारे ग्रुप से कुछ और भाई भी तैयार हो गए जिसमे मथुरा निवासी नरेश भाई झारखण्ड के sdm साहब मिश्रा जी और सदा यात्रा के लिए तत्पर रहने वाले ग्वालियर निवासी विकास भाई यह सभी भाई भी डिसाइड किये की हमे कब और किस दिन यात्रा पर निकलना है ।इनके साथ ओर महादेव की कृपा से हमे भी दोबारा जाने का  मौका मिला। इन भाईयो की योजना भी कल्पेश्वर होकर रुद्रनाथ ओर वहा से संगर गाव उतरने की थी। इसी बीच मेने जितने भी भाईयो ने रुद्रनाथ यात्रा कर ब्लॉग लिखे थे सब खंगाल लिए गए। जिसमे संदीप भाई , बिनु कुकरेती भाई जो फोन लगाने पर संगर गाव से ही बोल रहे थे उनसे रास्ते ओर रुकने की सारी स्थिति का लेख झोंक लिया ओर किस जगह से यात्रा शुरू करना और वापसी की तरफ उतरना की जानकारी ली गयी मंडल की तरफ उतरने पर भाई ने हिदायत दी कि बड़े ध्यान से ओर धीमी चाल में आपको मंडल की ओर उतरना है। क्योंकि वहाँ की उतराई 90 डिग्री की है जरा सी चूक ओर परमात्मा से सीधी मुलाकात पक्की है। भाई से यह सब जानकारी लेकर एक ओर महान घुमक्कड़ मनु भाई के ब्लॉग पर नजर दौड़ाई तो  दिमाग घूम गया जब मनु भाई के सभी ब्लॉग छान मारे की इनका ब्लॉग रुद्रनाथ वाला कहा है। तो मनु भाई को भी फोन लगा पूछ ही डाला कि रुद्रनाथ यात्रा ब्लॉग कहा है। भाई ने कहा कि यह यात्रा अभी नही की तो इसका यात्रा वर्त्तान्त भी मिलने से रहा ।
अब हमारी यात्रा की तारीख भी तय हो गयी 1 जून को हमे मथुरा नरेश भाई के यहाँ पहुचना है। अब घूमने का प्रोग्राम तो कम्प्लीट हो गया था। पर फोटो खींचने के लिए यन्त्र जो मोबाइल में है वह कमजोर है तो नया कैमरा भी खरीद लिया गया ।ऑनलाइन शॉपिग पर चेक किया तो कीमत 18000 निकोन B 500 की कीमत बता रहा है। मन्दसौर की एक मुख्य कैमरे की शॉप पर 14200 में मिल गया। अब 31 मई को 2 बजे हमारी ट्रेन मथुरा के लिए तैयार थी। यह मेरठ मन्दसौर लिंक एक्सप्रेस थी जो 1.40 पर मन्दसौर स्टेशन पर आकर 2 बजे वापस मेरठ की ओर चल देती है। हम अपनी तैयारी कर सही समय पर स्टेशन पर आ पहुचे। गर्मियो के दिन  ओर लू के थपेड़ों ने हालत खराब की हुई थी और सबसे बड़ी बात इस बार हमारा रिजर्वेशन भी नही था तो हमे जनरल कोच में ही यात्रा करनी है।  ट्रैन अपने नियत समय पर स्टेशन पर आ गयी सारे डिब्बे खाली हो गए थे। हम डिब्बे में जाकर ऊपर वाली आमने सामने की सीट पर कब्जा कर लिए ट्रेन 2 बजे स्टेशन छोड़ नीमच की तरफ अग्रसर हो गयी यहाँ से यह सुपर फास्ट हो जाती है बिना रुके 35 मिनिट में 50 किलोमीटर दूर नीमच जाकर ही ड्राइवर ने इंजन को सास लेने दी। अब मुख्य स्टेशन पर ही ट्रेन रुक रही थी । चित्तौरगढ़,मांडलगढ़,होते हुए शाम 5:30 पर ट्रेन कोटा जंक्शन पर जा  रुकी।  यहा से देहरादून एक्सप्रेस में इसको लिंक किया जाता है। अब भीड़ बढ़ चुकी थी हम दोनों ने घर से लाया हुआ भोजन किया और अपनी अपनी सीट पर सो गए रात 8:30 बजे किसी ने मेरे पैर को खीचा मेने उठकर देखा तो एक 28 साल का आवरा लड़का बोल रहा है कि हटो यहा से मुझे बैठना है। मेने उससे बोला भाई तू ऐसा कर दूसरी सीट पर चले जा पर बन्दा हटने को तैयार नही मेने देखा चल भाई इसको बैठा देता हूँ। अब आज की यात्रा लम्बी होती जा रही है तो फिर आगे की यात्रा विवरण अगले भाग में तब तक के लिए एक किसान ब्लॉगर का राम राम🙏 
नोट:-यात्रा तैयारी के कोई फ़ोटो उपलब्ध नही है अगले भाग से फ़ोटो उपलब्ध होंगे । 
ओर हा यात्रा ब्लॉग पढ़ने वाले सभी साथियों से विन्रम निवेदन है कि अपनी उपस्थिति कमेंट कर दर्ज करावे जिससे मुझ जैसे शुरवाती ब्लोगरो को लिखने का हौसला मिलता रहे आपका हर कमेंट मेरे लिए किसी मेडल से कम नही होगा 
भगवान रुद्रनाथ यात्रा भाग 1 पढ़ने के लिए धन्यवाद जय भोलेनाथ 

टिप्पणियाँ

  1. शानदार,अगले भाग के इंतजार में,और हाँ ऐसा लग ही नही रहा की आपको लिखते कुछ समय ही हुआ ह ,बहुत अच्छा लिख रहे हो

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  2. धन्यवाद अशोक भाई जी आप सभी के प्रोत्साहन का ही नतीजा है जो में यात्रा ब्लॉग लिख रहा हूँ दूसरा भाग भी जल्दी है भेजता हूँ

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  3. बहुत बढ़िया शुरुआत....एक बार मंदिर की ऊंचाई दोबारा चैक करें।

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    1. धन्यवाद अनिल भाई
      मंदिर की ऊंचाई गलत हो गयी थी अब सही कर दी है

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  4. सुंदर शरुआत
    बेसब्री से अगले भाग की प्रतीक्षा

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  5. बढ़िया शुरुआत और बढ़िया भूमिका बांधी है आपने.... आगे की यात्रा का ििइंतेजयर

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